पॉलिसी का सबूत: ई-कार्ड/पॉलिसी कॉपी, पॉलिसी नंबर ।
KYC: आधार/अन्य फोटो आईडी, पैन (यदि माँगा जाए),पते का कागज़।
NEFT के लिए बैंक प्रमाण: प्रिंटेड नाम वाला कैंसिल्ड चेक या पासबुक का पहला पेज या नया बैंक स्टेटमेंट ।
2.अस्पताल और उपचार से जुड़े सबूत/दस्तावेज़
डॉक्टर की भर्ती/डे-केयर की सलाह वाली पर्ची ।
डिस्चार्ज /डे-केयर/ट्रांसफर की रिपोर्ट ।
दिए गए सारे पैसे की रसीदें: एडवांस, डिपॉज़िट, फाइनल ।
वार्ड रिकॉर्ड की कॉपी दें, जिसमें नर्सिंग चार्ट, वाइटल चार्ट, इलाज के नोट्स और ऑपरेशन नोट्स शामिल हों।
इन सभी जांच रिपोर्टों की कॉपी दें (लैब, इमेजिंग, ECG आदि), संबंधित डॉक्टर की पर्ची और उनकी बिल/रसीदों के साथ।
दवाई का बिल और उसी दवाई की डॉक्टर की पर्ची साथ लगाएँ.
अगर इम्प्लांट/डिवाइस का इस्तेमाल हो तो स्टिकर और रसीद जमा करें.
अगर सर्जरी हुई हो, तो ऑपरेशन से पहले और बाद की रिपोर्टें दें.
3. अलग स्थिति
दुर्घटना मामलों में FIR/MLC + डॉक्टर का सर्टिफिकेट (कारण व समय) आवश्यक.
अस्पताल में मौत होने पर डेथ समरी और डेथ सर्टिफिकेट दें।
दूसरी पॉलिसियों की कॉपी/डिटेल तैयार रखें, ज़रूरत पर जमा कर।
4. कैशलेस vs. रीइम्बर्समेंट
कैशलेस: अस्पताल मंज़ूरी और फाइनल बिल सीधे बीमा/TPA को भेजता है,अपनी ID और पॉलिसी की कॉपी साथ रखें, और भर्ती व डिस्चार्ज पर आवश्यक फॉर्म पर साइन करें।
रीइम्बर्समेंट (नॉन-नेटवर्क/या कैशलेस अस्वीकार होने पर): आप अस्पताल का बिल पहले खुद भरते हैं, बीमा कंपनी/TPA को तुरंत बताएं और मेडिकल कागज़ अस्पताल से बीमा/TPA खुद लेता है, आपसे KYC और बैंक कागज़ माँगे तो जमा करें।
5. काम आने वाली बात
जो भी कागज़ जमा करें या साइन करें, उसकी कॉपी अपने पास रखें ।
जरूरत हो तो भर्ती हों, इलाज करवाएँ, और अस्पताल का बिल चुका दें।
डिस्चार्ज पर सभी बिल और रिपोर्ट्स पर अस्पताल की मुहर और हस्ताक्षर/साइन/दस्तख़त अवश्य कराएँ।
बीमा कंपनी को तुरंत सूचित करें
भर्ती के बाद या डिस्चार्ज के समय बीमा कंपनी /TPA को तुरंत सूचना दें, ऐप, पोर्टल, ईमेल, हेल्पलाइन या अस्पताल के TPA डेस्क का उपयोग करें।
सूचना देने के सही रास्ते: ऐप/वेबसाइट, ईमेल, कॉल सेंटर, अस्पताल TPA.
अस्पताल रिकॉर्ड जमा करना
आपकी सूचना के बाद बीमा/TPA को जरूरी मेडिकल कागज़ सीधे अस्पताल से लेने चाहिए।
रिकॉर्ड लेने के लिए अस्पताल के अलग-अलग काउंटरों पर आपकी दौड़-भाग नहीं होनी चाहिए।
जो दस्तावेज़/कागज़ आपके पास हों, वे जमा करें
बीमा क्लेम फ़ॉर्म (भरें और साइन करें.)
पॉलिसी का सबूत: e-कार्ड या पॉलिसी की कॉपी, नंबर लिख, KYC: आधार/कोई फोटो ID, पैन अगर माँगें, पते का सबूत, NEFT पासबुक का पहला पेज या नया बैंक स्टेटमेंट।
अस्पताल के कागज़ में डिस्चार्ज समरी, वार्ड फ़ाइलें, टेस्ट रिपोर्ट, डॉक्टर की पर्ची, दवाई का बिल, इम्प्लांट का स्टिकर/बिल, ऑपरेशन रिपोर्ट और उनके बिल दें.
स्थिति की जाँच और निर्णय
बीमा कंपनी जाँचेगी कि आपका क्लेम पॉलिसी के नियमों के मुताबिक है या नहीं.
जाँच के बावजूद तय समय में फैसला करें, देरी पर RBI बैंक रेट के आधार पर नियम अनुसार से ब्याज देना होगा, जो आखिरी दस्तावेज़ मिलने से पेमेंट तक गिना जाएगा.
भुगतान / राशि जमा
क्लेम का पैसा NEFT से सीधे आपके बैंक खाते में आएगा ।
बैंक की रसीद और बीमा कंपनी की सेटलमेंट लेटर सुरक्षित रखें।
अपने बीमा कंपनी के Grievance Redressal Officer (GRO) को लिखित शिकायत भेजें और लिखित उत्तर माँगें।
समाधान न मिले तो IGMS (Bima Bharosa) portal पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें या IRDAI से संपर्क करें:
Contact No.: 155255 or 18004254732
Email: complaints [at] irdai [dot] gov [dot] in
अगर क्लेम रिजेक्ट या कट हो, तो बीमा कंपनी को लिखित में साफ कारण देना होगा और कौन-सा पॉलिसी नियम लागू है यह भी बताना होगा।